सोनभद्र में दिखा मार्मिक दृश्य, शिशु हाथी की मौत पर 16 घंटे पानी में खड़ी रही हथिनी

सोनभद्र में दिखा मार्मिक दृश्य, शिशु हाथी की मौत पर 16 घंटे पानी में खड़ी रही हथिनी


कई दिनों से सोनभद्र में दहशत का पर्याय बने हाथियों का झुंड अब भी जिले में बना हुआ है। रविवार को हुए एक हादसे के बाद मार्मिक दृश्य दिखाई दिया। हादसे ने न सिर्फ हाथियों के झुंड बल्कि आम लोगों को भी झकझोर दिया है। शायद इसी हादसे का कारण था कि सोमवार को हाथियों ने कोई उत्पात नहीं मचाया। छत्तीसगढ़ के जंगलों से भटक कर आए 14 हाथियों का झुण्ड नेमना के जंगलों से होते हुए रविवार को डूमरचुआ के पास रिहंद डैम तट पहुंचा था। वहां पर पानी देख सभी हाथी उसमें कूद पड़े। हाथियों की झुंड में शामिल 20-25 दिन का एक शिशु हाथी भी पानी में उतर गया।


पानी गहरा होने के कारण शिशु हाथी उसमें डूबने लगा। हथिनी ने उसे पानी से निकालने की भरपूर कोशिश की लेकिन नाकाम रही। कुछ देर में ही शिशु हाथी की डैम में डूबने से मौत हो गई। शिशु हाथी की मौत के बाद पूरा झुंड तो पानी से बाहर आ गया लेकिन हथिनी लगभग 16 घण्टे पानी में ही खड़ी रही। पानी से बाहर निकले हाथी इस दौरान करुणामई आवाज में रोते भी सुने गए। यह सब देख रहे ग्रामीण और वन विभाग के कर्मचारी गमगीन होने के साथ हाथियों के भड़कने की चिंता में दहशत में रहे। उन्हें डर था कि कहीं शिशु हाथी की मौत से गुस्साया झुंड भड़क न जाए।


शिशु हाथी की मौत की खबर से आलाधिकारी भी सकते में आ गए और आनन फानन मौके पर पहुंच स्थिति का जायजा लिया। प्रभागीय वनाधिकारी रेणुकूट एमपी सिंह, एसडीओ कुंज बिहारी वर्मा, रेंजर म्योरपुर, बभनी,बीजपुर लगातार स्थिति पर नजर बनाए रहे। हाथियों की हर एक गतिविधियों का संज्ञान लेकर विभाग के कर्मचारियों को सचेत कर सावधान रहने की हिदायत देते रहे। बीजपुर पुलिस भी हाथियों पर नजर बनाए रही। लेकिन अधिकारियों की आशंका निर्मूल साबित हुई। हाथियों का झुंड आगे निकलते ही वन विभाग की टीम ने रिहंद डैम से हाथी के शिशु का शव निकाला। शव जरहा वन रेंज कार्यालय लाया गया है। वहां एक टीम उसका पीएम करेगी। उसके बाद उसे दफन कर दिया जाएगा। 


जरहां वन रेंज के नेमना, सिरसोती और डोडहर ग्राम पंचायतों में गुरुवार से उत्पात मचाने वाले हाथियों का झुण्ड इस हादसे के बाद बिल्कुल शांत रहा। बस यहां पर आने-जाने के दौरान उन्होंने फसलों को रौंदा। कोई उत्पात नहीं मचाया। माना जा रहा है कि शिशु की मौत से पूरा झुंड गमगीन हैं। 


डीएफओ ने बताया हाथी के बच्चे के मर जाने से आशंका थी कि कहीं स्थिति बिगड़ न जाए। इसीलिए वहां पर कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दी गयी थी। बरहाल स्थिति काबू में है। हाथी भड़के नहीं वैसे छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से हाथियों के एक्सपर्टों की टीम बुला ली गयी है, जो हाथियों को छत्तीसगढ़ के जंगलों तक ले जाएंगे। ग्रामीणों को सतर्क रहते हुए हाथियों को रास्ता देना पड़ेगा ताकि वो भड़के ना और अपने रास्ते चले जाए।